Monday, July 29, 2013

हमें ये बेखबरी का दौर तोडना होगा. ...

ये सावन का महीना है. बादलों की सरकार और बूंदों की व्यवस्ता चल रही है. हम भीतर से लेकर बाहर तक सावन के रंग में रंग गए हैं और इस समय मन जब तब गा उठता है....सावन का महीना पवन करे शोर..जियरा रे ऐसे नाचे जैसे बन में नाचे मोर...| मैं कल अपनी बाइक पर लौट रहा था. कि तभी बारिश होने लगी, बारिश की रिमझिम में मन यही गीत गाने लगा. सुनील दत्त और नूतन पर फिल्माया ये गीत 1967 में बनी फिल्म “मिलन” का है. ये तो मुझे पता था पर दिल अलग ही सवाल पूछ बैठा, ये गीत लिखा किसने है? फिर क्या था, मन अशांत हो गया. एक ग्लानी का भाव उमड़ उठा, और मैं सोचने लगा की ये गीत जो देश में सावन के प्रतीक गीतों में से एक है और बारिश की एक बूँद भी शरीर पर गिरते ही हर हिन्दुस्तानी दिल इसे गुनगुना उठता है, उसके ही लेखक का नाम नहीं मालूम. ऐसे ही न जाने कितने गीत हैं जो वक्त का बंधन तोड़ कर हमारी जिंदगी, हमारी खुशी, हमारे गम का हिस्सा है पर हम उन नामों को नहीं जानते जिन्होंने हमारी अनकही अमूर्त भावना को गीत के रूप में साकार किया और हमारे कई अव्यक्त भावों को अमर स्वर दिए. जब हम-आप उदास होते है और कुछ नहीं समझ आता तो अकसर “आनंद” फिल्म का गाना “ जिंदगी कैसी है पहेली हाय!...या “सफर” फिल्म का गीत “जिंदगी का सफर है ये कैसा सफर..या फिर ऐसे ही अनगिनत गाने हैं जिनसे हम अपना दर्द बाँट लेते हैं. ये गीत कभी हमारे आंसूं पोछ कर काँधे का सहारा देते हैं तो कभी उदास मन में एक नई उमंग भर देते है. पर अफ़सोस हम उन नामों को नहीं जानते जिन्होंने हमें इतने अनलोम तोहफे दिए.

ऊपर जो मैंने दो गीत बताये हैं उनके बोल पढते ही आपके दिमाग में जो पहली तस्वीर बनेगी वो राजेश खन्ना की होगी क्योंकि ये गीत उनपर ही फिल्माए गए हैं पर आपके दिमाग में “योगेश” और “इंदीवर” का नाम तक नहीं आयेगा. जो इन गीतों के गीतकार है. ये हम दर्शकों की उदासीनता कहें, या फ़िल्मी दुनिया का बेजा दस्तूर. जो हिंदी फिल्मों का गीतकार हमारी जिंदगी में इतनी अहमियत रखने के बावजूद इतना उपेछित है. हम दिन रात जिस गीतकार के लिखे गीत गुनगुनाते रहते हैं उसके नाम तक को नहीं जानते और न जानने की कोशिश ही करते हैं.

 मैं जब किसी को कोई गीत गाते सुनता हूँ और उससे उसके लेखक का नाम पूछता हूँ तो 99.99% लोगों को गीतकार का नाम नहीं मालूम होता. ये एक ऐसा सच है जो कई सारी सच्चाइयों को झुठला देता है. जैसेकि अच्छे गीत ही फिल्म की जान होते है, गाने अच्छे हैं तो फिल्म कभी घाटा नहीं खा सकती या फिर अच्छे गीत फिल्म को अमर बना देते हैं. मैं पूछता हूँ अगर ऐसा है तो इन गीतों को लिखने वाले गीतकारों की हालत इतनी दयनीय और जिंदगी इतनी गुमनाम क्यों है. मुझे ये कहते हुए थोड़ी सी भी झिझक नहीं होती कि भारतीय फिल्म इंडस्ट्री लेखकों और गीतकारों के खून पी कर पनप रही है. ये उनके गुमनाम संघर्ष और शोषण पर टिकी हुई है. और हम, हमारे ग़मों को आवाज़ देने वालों के ग़मों से बेखबर हैं. 

कितने नाम गिनाएं जाएँ, फेहरिस्त बहुत लंबी है गुमनाम शहीदों की, योगेश, इंदीवर, राजेंद्र किशन, भारत व्यास, अनजान, प्रेम धवन, गुलशन बवरा, आरज़ू लखनवी, शैलेन्द्र, ये कल के वो नाम हैं जो हमारे आज में गुनगुनाते है. जो हमारे जिंदगी का हिस्सा हैं. आज के कुछ नाम जो अपना कल दोहरा रहे है और अपने पुरखो की तरह ही गुमनामी में ही गीत लिखे जा रहे है जैसे मिथुन, संदीप नाथ, तुराज़, संजय मासूम, इरशाद कामिल, हिमांशु कुमार, शब्बीर अहमद, निरंजन इयांगर, रजत अरोरा, अमिताभ भट्टाचार्य, जावेद बशीर, कुमार, प्रिया पंचाल,  न जाने कितने युवा गीतकार और लेखक है जो लगातार उन्दा लेखन कर रहे है पर हम उन्हें नहीं जानते. हम हिन्दुस्तानी, पटकथा लेखक और गीतकार के नाम पर जावेद और गुलज़ार से आगे ही नहीं बढ़ पाते. पर अब समय बदल चूका है. एक पूरी की पूरी खेप आ चुकी है जो बहुत ही उन्दा और जिन्दा लिख रही है. जरूरत है तो बस उनके हुनर को उनका हक देने की. उनकी वो पहचान उन्हें देने की जिसके वो हक़दार हैं. 

मैंने जितने नाम ऊपर गिनाये हैं, उन सबके गीत और फ़िल्में तो मैं यहाँ नहीं बता सकता पर इतना जरूर कह सकता हूँ कि इनके लिखे गीत और संवाद, हमारी  जिंदगी का अटूट हिस्सा हैं और उनके बिना शायद हम खुद को पूरी तरह व्यक्त नहीं कर सकते. त्यौहार नहीं मना सकते, हंस नहीं सकते, रो नहीं सकते. 

अब इन दिनों आशिकी 2 का ही मशहूर गीत “सुन रहा है न तू, रो रहा हूँ मैं.... को लें ले, जो संदीप नाथ जैसे युवा गीतकार  ने लिखा है, या "राँझना" जैसी सुपरहिट फिल्म जिसे हिमांशु कुमार ने लिखा है पर ये  हममें से कईयों को नहीं पता होगा . हमें ये बेखबरी का दौर तोड़ना होगा. और मुझे ये उम्मीद है की वो दिन जल्द ही आयेगा.

मेरा ये लेख दैनिक जागरण के (आई नेक्स्ट) में दिनांक 17-10-2013 को प्रकाशित हुआ है. लिंक नीचे है यदि चाहें तो वेबसाइट पर भी पढ़ सकते है.




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