Thursday, April 26, 2012

जिंदगी उठ खड़ी होती है हर वार के बाद......


आज कल अखबारों में सुसाइड शब्द सुर्खियाँ बना हुआ है तो सोचा कि इस बार इस पर ही आपसे कुछ शेयर किया जाए, मुझे अक्सर ऐसा लगता है कि साँसों के लम्बे सफ़र में जब जिन्दगी किसी अँधेरी गली में झटके से ख़तम कर दी जाती है, तब उसे सुसाइड कहते है. ये शब्द जितना छोटा और सरल है इसका मतलब उससे कहीं ज्यादा भयानक और यातनापूर्ण है. कानों में इस शब्द के जाते ही नसों में सन्नाटा दौड़ जाता है और मुहं से बस एक ही वाक्य लिकालता है '' हे भगवन! दुश्मन के साथ भी ऐसा न हो''

सुसाइड करने वाला तो अपनी जिंदगी ख़तम कर लेता है पर उसके पीछे उसके अपनों की जिंदगी मौत से भी बद्दतर हो जाती है. दर्द, आंसू और पछतावे के सिवा अगर उनके पास कुछ बचता है तो वो ''सुसाइड नोट'' जिसमे परेशानियों और चुनौतियों से डर कर भागने का बयान दर्ज होता है.

21 वीं सदी सपनों, आशाओं, प्रतियोगिताओं और दौड़ की सदी है. यहाँ अपनी चाहत की दौड़ में दौड़ते कदम थकते भी हैं, बहकते भी है, और लड़खड़ाते भी, पर इसका मतलब ये कतई नहीं निकलना चाहिए कि हम हमेशा के लिए हार गए और अब जिंदगी ख़तम कर ली जाए. सुसाइड अक्सर वो लोग करते हैं, जिन्हें  इस बात पर विस्वास नहीं  होता की रात के बाद सवेरा आता ही आता है, इसलिए रात का डट कर मुकाबला किया जाना चाहिए  न कि डर कर आत्महत्या.

सुसाइड के केस को जब हम स्टडी करते है तो पाते हैं  कि इसमें भी युवा ही सबसे आगे हैं, ऑस्ट्रेलिया में 15 -29  वर्ष के युवाओं कि जितनी भी मौतें होतीं हैं उसमे सुसाइड दूसरा सबसे बड़ा कारण होता है. अमेरिकन यूथ में सुसाइड मौत की तीसरी सबसे बड़ी वजह है. इंडिया में ये समस्या कुछ ज्यादा ही विकराल हो जाती है यहाँ 15 -29 साल के बीच जितनी भी डेथ होती है उनके 1/3  के पीछे सुसाइड का ही हाँथ होता है . क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार इंडिया में सुसाइड रेट 8 % की दर से बढ़ रहा है. 

मैं जब कभी भी सुसाइड के बारे में कुछ सुनता हूँ तो मुझे मेरे दोस्त की याद आ जाती है जो ग्रेजुएशन के एक्जाम में मेरी पीछे वाली सीट पर बैठा था , इनकम टैक्स का पेपर आखरी था जो काफी टफ आया था. सभी के पसीने छूट रहे थे, लिहाजा उसका परेशान होना भी लाजमी था, हम सब तीन घंटे तक सर खपाते रहे पर वो बीच में ही पेपर जमा कर के चला गया,  ये  देख कर थोड़ी हैरानी हुई पर लगा की ये पढने के काफी तेज है सो हो सकता है जल्दी सॉल्व कर लिया हो. पर अगली सुबह जब अखबार खोला तो होश उड़ गए थे, उसने सुसाइड कर  ली थी और सुसाइड नोट में टैक्स का पेपर ख़राब हो जाने के लिए अपने मामी-पापा से माफ़ी मांगी थी, उसने लिखा था ''मम्मी-पापा मुझे माफ़ करना, मैं भैया और दीदी की तरह C.A. नहीं बन सकता, मैं आपका नाम नहीं ख़राब करना चाहता, इसलिए सुसाइड कर रहा हूँ,, 

मुझे उसकी मौत से एक अजीब सा झटका लगा था. जब रिजल्ट आया तो मैंने अपना रिजल्ट देखने से पहले उसका रिजल्ट देखा, उसने टैक्स में भले ही कम नंबर पाए हो पर बाकी सब्जेक्ट में उसे सबसे ज्यादा मार्क्स मिले थे इस तरह वो हमारे कॉलेज का टॉपर था. पर इस चीज को देखने के लिए वो अब हम लोगों के साथ नहीं था. वो पढ़ाई से ज्यादा स्पोर्ट्स ,एक्टिंग और सिंगिंग एन्जॉय करता था और उस फिल्ड में बेस्ट था पर मम्मी पापा उसे उसके भैया और दीदी की तरह C.A. बनाना चाहते थे. जिसकी वजह से उसे हमेशा एक इनर कंफ्लिक्ट से फाईट करना पड़ता था. इसी कंफ्लिक्ट से फाईट करते हुए उसने सुसाई कमिट कर ली.

सुसाइड के किसी केस को सुन कर सबे पहले इसका रीजन जाने को मन करता है जिसके जवाब में कई चीजे सामने आती है. मसलन एकेडमिक विफलता, प्यार में धोखा, अच्छी जॉब न मिल पाना, या घर वालों से कंफ्लिक्ट, इन कुछ में रीजन्स के अलावा भी कई और कारण हो सकते है. पर सुसाइड  के लिए इनमे से कोई भी वजह जिम्मेदार नहीं होती, सुसाइड की असल वजह स्ट्रगल स्पिरिट और सहन शक्ति की कमी का होना है जो आदमी के धैर्य को घटा कर उसे पलायनवादी यानी क्विटर बना देती है.लिहाजा आदमी जरा सी भी टफ कंडीशन आने पर भागना चाहता है और न भाग पाने की कंडीशन में सुसाइड  कर बैठता है. 

 हमें कभी नहीं भूलना चाहिए कि कोई भी प्रोब्लम हमारी जिंदगी से बड़ी नहीं हो सकती है जिंदगी के साथ प्रोब्लम आती-जाती रहती है, इसे हमें लाइफ का पार्ट समझ कर चलना चाहिए , याद करिए जब छोटे थे तो बोर्ड एक्जाम का कोई पेपर ख़राब हो जाने पर या पहले प्यार  में धोखा खाने पर कैसे-कैसे अजीब ख्याल आये थे अगर उस समय हमने स्ट्रगल नहीं किया होता हो हम यहाँ नहीं होते और हमारे अपनों के पास भी बचता एक ''सुसाइड नोट'' जो हमारे भगौड़े होने की गवाई दे रहा होता. हम आज जिन्हें भी जीत की  ऊंचाई  पर देख रहे हैं वो कई हार के बाद यहाँ तक पहुंचे है. उनके जीवन में भी कई बार ऐसे पल आये थे जब उन्हें लगा था कि जिंदगी कुछ नहीं है अब इसे ख़तम कर लेना  चाहिए पर उन्होंने स्ट्रगल किया और आज वो, वो है जीने हम अपना हीरो मानते है. इसलिए हमें ये कभी नहीं भूलना चाहिए कि..... और भी जीत है ''अनंत''एक हार के बाद, जिंदगी उठ खड़ी होती है हर वार के बाद,,

आर्टिकल का लिंक ये है :----http://epaper.inextlive.com/30968/INEXT-LUCKNOW/29.03.12#page/11/1

तुम्हारा --अनंत

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