Sunday, March 26, 2017

क्योंकि उनके पास ज्ञान है बुद्धि नहीं है !!

कितना आसान होता है। खांचे में फंसा कर गर्दन उतार देना।  बिलकुल यांत्रिक कत्लखाने की तरह सहज और सफल। इस तरह के  कत्लखाने कब बंद होंगे ? कौन सी सरकार, कौन सा नेता ऐसे क़त्ल खाने को बंद करेगा? मैं नहीं जनता।

आप  किसी भी क्षण किसी भी ख़ास तरह के पैमाने से नाप दिए जाते हैं और नापने वाला आपकी एक परिभाषा, एक सूत्र अपने दिमाग में बैठा लेता है। और यदा-कदा उसी परिभाषा, उसी सूत्र के हिसाब से आपको हल करता रहता है।  कुछ तो आप पर पीएचडी कर लेते हैं और आप पर आपसे ज्यादा अधिकार उनका हो जाता है।  आप खुद को नहीं जान पाते पर वो आपकी नश-नश से वाकिफ होने का दावा करते हुए, आप पर लेक्चर देते हैं और लोग मन लगा कर आदर्श विद्यार्थी की तरह उन्हें सुनते हैं।  यही हमारे समय का सच है।  ये सुन्दर है या भयवाह।  ये आप जाने।

आपने देश और सेना पर बात कर दी, आप राष्ट्रवादी, आपने मोदी की तारीफ कर दी, जनविरोधी, बुर्जुआ, पूंजीवादी। आपने मोदी की आलोचना कर दी।  आप वामपंथी। आपने धर्म की बात कर दी, आप दक्षिणपंथी। आपने एंटी रोमियो की आलोचना कर दी। आप ठरकी, कुंठित। आपने योगी से सवाल कर दिया। आप खिसियानी बिल्ली। आपने गैरबराबरी वाली व्यवस्था को बदलने की बात कह दी, आप देशद्रोही।  आपने किसानों अदिवासियों के जलते सवाल पूछ दिए, आप नक्सलवादी।  आपने किसी विशेष संगठन, विशेष पार्टी पर कुछ कह दिया, आप पाकिस्तानी। 

ऐसे ही बहुत सारे खांचे हैं।  लोग हांथो में लिए घूम रहे हैं।  बिलकुल शिकारियों के तरह चौकन्ने।  आपके मूँह से कुछ निकला नहीं कि  आप खांचे में फिट, पैमाने से नाप लिए गए।  आपकी परिभाषा और सूत्र तैयार।  आप व्यक्ति नहीं रहे, एक बड़ी पहचान आपके साथ चस्पा, चाहे आप उस बड़ी पहचान का मतलब भी न जाने पर अब वो पहचान आपकी पहचान है।  

हमने सवाल उठाया कि एंटी रोमियो स्क्वाड का नाम एंटी रोमियो ही क्यों रखा गया ? और इस नाम के दर्शन को भारत के परिपेक्ष्य में देखने की कोशिश की। एक भाई हमारी बहन के लिए चिंतित हो गये।  उसे पूरे प्रकरण में ले आये।और एक खाँचा ले कर मुझे नाप दिया। ये खांचा था हम फर्जी विरोध करते हैं। ठीक है भाई ! पर हम फिर से सवाल पूछते हैं कि अगर महिला सुरक्षा ही  मामला था तो इस सेल का आम वीमेन सिक्युरिटी स्क्वाड रख देते।  तो ज्यादा व्यापक सुरक्षा हो पाती।  पर यहाँ तो नाम ही बताता है कि ये एन्टीरोमियो दल प्रेम या छेड़छाड़  के मामले में ही मुख्यतयः दखल रखेगा।  तो क्या हमारे प्रदेश में सबसे ज्यादा महिलाएं पार्क में, कालेजों के बाहर, और सार्वजानिक स्थलों पर ही असुरक्षित हैं ? क्या हमारे प्रदेश में बलात्कार सबसे ज्यादा हो रहे हैं ? नहीं दोनों बात नहीं है।  फिर एन्टीरोमियो नाम क्यों ? फिर भी महिला सुरक्षा के हर पहल का स्वागत है। बस सकारात्मक आलोचना ये है कि इस स्क्वाड का नाम बदल कर इसे लार्जर मैनडेट के साथ जोड़ा जाए। ताकि महिलाओं के साथ छेड़छाड़ का मामला उसके भीतर आये और उनके साथ हो रहे सारे अपराध के लिए पुलिस सीधे तौर पर जवाबदेह हो। ये तो योगी जी से इल्तजा थी। पर दूसरी  चीज़ तो  भगवान ही दे सकता है।  वो है खाँचेबाजों को बुद्धि, जितनी भी मिल जाए, उनके लिए सद्बुद्धि ही होगी।  क्योंकि उनके पास ज्ञान है बुद्धि नहीं है !!  

अनुराग अनंत 


   
    

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